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18/05/2025 | स्वयंभू स्तोत्र | श्लोक – 61 प्रवचन 01 | व्याख्या अपेक्षा पूर्वक करो उज्जैन,

18 / 05 / 2025 पुरुषार्थ सिद्धि उपाय | श्लोक 42 | संशय , विपरीत , विमोह रहित सम्यग्ज्ञान

18/05/2025 | नीतिवाक्यामृत | सेनापति – 02 प्र 02 | सेनापति देशानुरागी

18/05/2025 | स्वयंभू स्तोत्र | श्लोक – 61 प्रवचन 01 | व्याख्या अपेक्षा पूर्वक करो उज्जैन,

24 घंटे टेंसन में रहना भी हत्या है #tensan #हत्यारा #आत्महत्या #अपेक्षा #jaindharm #jainsm

18 / 05/2025 श्रुत संवेगी श्रमण मुनि श्री सुव्रत सागर महाराज

17/05/2025 | अध्यात्म अमृत कलश – 134 प्रवचन 02 | निमित्त उपादान एवं द्रव्य उज्जैन,

17/05/2025 | स्वयंभू स्तोत्र | श्लोक – 61 प्रवचन 01 | व्याख्या अपेक्षा पूर्वक करो

भगवान के केवलज्ञान का कैमरा 24 घंटे चलता है इसलिए सम्भल ले रहो #जैनगुरु #jaindharm #jainism #jain

17/05/2025 | कुरल – काव्य | परिछेद 57 , श्लोक 2 | दण्ड दो वका के समान | आचार्य विशुद्धसागर जी

17/05/2025 | नीतिवाक्यामृत | सेनापति – 02 प्र 02 | सेनापति देशानुरागी

17/05/2025 | जैन न्याय परीक्षामुख | अध्याय .3 सूत्र 96| तथोपपति , अन्यथानुपपति

17 / 05 / 2025 पुरुषार्थ सिद्धि उपाय | श्लोक 42 | संशय , विपरीत , विमोह रहित सम्यग्ज्ञान

17 / 05 / 2025 मुनि श्री सुयश सागर महाराज

16/05/2025 | अध्यात्म अमृत कलश – 134 प्रवचन 07 | उज्जैन, | | पट्टाचार्य

गणधर की तरह ये शब्दो से शास्त्र की करते रचना कई श्रेष्ठ मुनि भी चाहते इनके ग्रंथो को पढ़ना #jain

16/05/2025 | जैन न्याय परीक्षामुख | अध्याय .3 सूत्र 96| तथोपपति , अन्यथानुपपति

16/05/2025 | नीतिवाक्यामृत | सेनापति – 02 प्र 02 | सेनापति देशानुरागी

16 / 05 / 2025 पुरुषार्थ सिद्धि उपाय | श्लोक 42 | संशय , विपरीत , विमोह रहित सम्यग्ज्ञान

16/05/2025 | स्वयंभू स्तोत्र | श्लोक – 60 प्रवचन 02 | वंदना करो , कर्म हरो

पूर्व में किये कार्य आज कारण है ,पूर्व में मायाचारी की आज स्त्री पर्याय मिली है #जैन #jainism

लोगो को लगता है में गलत बोलता हूँ वह उनकी अज्ञानता है जैसे चेहरा बनता है वैसे कर्म का बंध बंधता है

15/05/2025 | अष्टसहस्त्री | कारिका-14 , पृष्ठ 288 , प्र 25 भाग-2 | स्याद् वाद सप्तभंगी (24 )

15/05/2025 | अध्यात्म अमृत कलश – 133 प्रवचन 02 | स्व योग्यता से करो संवर

15/05/2025 | स्वयंभू स्तोत्र | श्लोक – 60 प्रवचन 01 | पवित्र बनो , पवित्रता प्रदान करो

जो साधु श्रावक पंथों के बांध में बंध जाता है वह सुख जाता है,जो बहता है सिद्धों के सागर में मिल जाता

बेटे का पिता चिल्लाए तो छत का ध्यान करना , आप छत जैसी समता की छत बना लेना

15 / 05 / 2025 मुनि श्री

एक देवी से बात करने में नींद नहीं आती ऐसे निज आत्मा से बात करने में नींद न आये तो तुम भगवान बन जाओ

15/05/2025 | जैन न्याय परीक्षामुख | अध्याय .3 सूत्र 96 | उपादान उपादेय संबंध
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